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राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे,
रहे संग तेरा नाम प्रभु, हर पल मेरे जीवन में,
ओ जाने वाले रघुवीर को, प्रणाम हमारा कह देना
रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥
रघुनन्दन राघव राम हरे सिया राम हरे सिया राम हरे ।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया, राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।
गलियां चारों बंद हुई, मिलूं कैसे हरी से जाये ।
राधे जय जय माधव-दयिते गोकुल-तरुणी-मंडल-महिते
प्राणो से भी प्यारा, दादी धाम तुम्हारा,
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी,