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रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥
राम दशरथ के घर जन्मे, घराना हो तो ऐसा हो,
राम दरबार है जग सारा, राम ही तीनो लोक के राजा,
राम भी मिलेंगे तुझे, श्याम भी मिलेंगे,
राम भक्त ले चला रे, राम की निशानी ॥
राधा का चितचोर कन्हैया, दाऊजी का नटखट भैया,
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा, श्याम देखा, घनश्याम देखा,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
रात भादो की थी, छाई काली घटा,
रास कुन्जन में ठहरायो, रास मधुबन में ठररायो,