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यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ,
यदि नाथ का नाम दयानिधि है, तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
कोई कमी नहीं है, दर मइया के जाके देख देगी तुझे दर्शन मइया, तू सर को झुका के देख
वो राम धुन में मगन है रहते, लगन प्रभु की लगा रहे है,
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
वो लाल लंगोटे वाला, माता अंजनी का लाला,
विसर्जन को चली रे, चली रे मोरी मैया,
विरात्रा री पहाड़ियों में, धाम थारो म्हाने लागे न्यारो,
विनती सुनलो मेरे गणराज आज भक्ति क़ा फल दीजिये, पहले तुमको मनाता हूँ मै देवा कीर्तन सफल कीजिए ॥
विंध्याचल की विंध्यवासिनी, नमन करो स्वीकार माँ,