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माँ दुर्गा माँ काली की आरती (अम्बे तू है जगदम्बे काली)

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॥ माँ काली आरती ॥


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,

तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती।



१) तेरे भक्त जनो पर, भीड़ पडी है भारी,

    दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंह सवारी, 

    सौ-सौ सिंहो से भी बलशाली, अष्ट भुजाओ वाली,

    दुष्टो को पलमे संहारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली....



२) माँ बेटे का है इस जग मे, बडा ही निर्मल नाता,

    पूत-कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता,

    सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,

    दुखियो के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली....



३) नही मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना,

    हम तो मांगे माँ तेरे मन मे, इक छोटा सा कोना,

    सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,

    सतियो के सत को सवांरती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली....



४) चरण शरण माँ खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली,

    वरद हस्त सर पर रख दो, माँ सकंट हरने वाली,

    माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वाली,

    भक्तो के कारज तू संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती॥

    अम्बे तू है जगदम्बे काली....


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली।

तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतारें, तेरी आरती॥


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