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जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥
आरती श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिया-पी की॥
जगमग जगमग जोत जली है, राम आरती होन लगी है..
जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी। दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
ॐ जय छठी माता, मैया जय छठी माता, तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।।
आरती अतिपावन पुराण की, धर्म भक्ति विज्ञान खान की,
आरती प्रियाकांत जु की , सुखाकर भक्त वृन्द हु की | जगत में कीर्तिमयी माला , सुखी सुन सूजन गोपी ग्वाला |
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम। जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन। हरण दुख द्वन्द, गोविन्द आनन्दघन॥