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ॐ जय जगदानन्दी, मैया जय आनंद कन्दी। ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हरि शंकर, रुद्री पालन्ती॥
जय जय भगीरथ-नंदिनी, मुनि-चय चकोर-चन्दिनी, नर-नाग-बिबुध-वंदिनी, जय जह्नुबालिका।
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता। जो नहावे फल पावे, सुख सम्पत्ति की दाता॥
आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥ आरती श्री जनक दुलारी की, सीताजी श्रीरघुवर प्यारी की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥ भयभन्जिनि भवसागर-तारिणी, पाप-ताप-कलि-कलुष-निवारिणी,
आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की। त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।
मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी, ध्वजा, नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करे॥
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता। सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता, सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी। राजेश्वरी जय नमो नमः॥