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ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय! भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय।
ॐ जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता, जो कोई तुमको सेवत, त्रिभुवन सुख पाता।।
ॐ जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी। सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी॥
पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो। जिनके कुछ और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।
प्रभु श्री विश्वकर्मा घर, आवो प्रभु विश्वकर्मा। सुदामा की विनय सुनी और कंचन महल बनाये।
जय धन्वन्तरि देवा, जय धन्वन्तरि जी देवा। जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा॥
ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जय यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे॥
जय जय श्री शनिदेव, भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु, छाया महतारी॥