श्री तुलसी मैया की आरती (Shri Tulsi Maiya Ki Aarti)


जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता,

सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,

रज से रक्षा कर भव त्राता।

जय जय तुलसी माता।



बटु पुत्री है श्यामा, सुर वल्ली है ग्राम्या,

विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।

जय जय तुलसी माता।


हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित,

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।

जय जय तुलसी माता।


लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में,

मानव लोक तुम्हीं से, सुख सम्पत्ति पाता।

जय जय तुलसी माता।


हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी,

प्रेम अजब है श्री हरि का, तुम से अजब नाता।

जय जय तुलसी माता।


जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता

........................................................................................................
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी (Kaartik Maas Ke Shukl Paksh Kee Prabodhinee Ekaadashee)

ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।

सत्यनारायण कथा (Satyanarayan Katha)

एक समय नैमिषीरण्य तीर्थ में शौनकादि 88 हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा हे प्रभु! इस कलयुग में वेद-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा।

श्री नर्मदा चालीसा (Shri Narmada Chalisa)

देवि पूजित, नर्मदा, महिमा बड़ी अपार।
चालीसा वर्णन करत, कवि अरु भक्त उदार॥

16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।