Logo

श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥


रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥


निज भक्त-हृदय पाथोज-भृन्ग, लावन्य बपुष अगनित अनन्ग॥


अति प्रबल मोह-तम-मारतण्ड, अग्यान-गहन- पावक-प्रचण्ड॥


अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार, सुररन्जन, भन्जन भूमिभार॥


रागादि- सर्पगन पन्नगारि, कन्दर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥


भव-जलधि-पोत चरनारबिन्द, जानकी-रवन आनन्द कन्द॥


हनुमन्त प्रेम बापी मराल, निष्काम कामधुक गो दयाल॥


त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम, कह तुलसिदास बिश्राम-धाम॥


बोलिये राघवेंद्र सरकार की जय

........................................................................................................
गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।

कान छेदने के मुहूर्त

हिंदू धर्म में मानव जीवन में कुल 16 संस्कारों का बहुत अधिक महत्व है इन संस्कारों में नौवां संस्कार कर्णवेध या कान छेदने का संस्कार।

नवंबर-दिसंबर से लेकर साल 2025 तक यह हैं शादी के लिए सबसे शुभ मुहूर्त

हिन्दू धर्म में मुहुर्त का कितना महत्व है इस बात को समझने के लिए इतना ही काफी है कि हम मुहुर्त न होने पर शादी विवाह जैसी रस्मों को भी कई कई महिनों तक रोक लेते हैं।

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang