आरती प्रियाकांत जू की (Aarti Priyakant Ju Ki)

आरती प्रियाकांत जु की,

 आरती प्रियाकांत जु की , सुखाकर भक्त वृन्द हु की |

जगत में कीर्तिमयी माला , सुखी सुन सूजन गोपी ग्वाला | करो मत देर , दास रहे टेर , प्रभाकर मृतक भाव हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||1||

दरस ते बुझै द्रोह ज्वाला , जपे जन जुगल नाम माला | सखी सब संग , बन्ध भव भंग , दयानिधि नंद लाल हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||2||

मनोहर यमुना सुचि रेणु , वंशीवट बजत सौम्य वेणु | भृंग पिक वृन्द , ध्वनि अति मंद , सुधाकर भक्ति ज्ञान हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||3||

प्रभामय धाम शान्ति सेवा , भगत जन तरस रहे देवा | युगल छवि देख , मिटे दुःख रेख , भयापहः नेत्र दांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||4||

कमल मह राजत युग शोभा , निम्ब प्रभु हनुमत गण देवा | रहे सुख पाये , चरण चित लाय , देवकी नंद कांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||5|| 

आरती प्रियाकांत जु की । सुखाकर भक्त वृन्द हू की ||


भगवान प्रियाकांतजु की जय


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भोले तेरी कृपा से युग आते युग जाते है (Bhole Teri Kripa Se Yug Aate Yug Jate Hain)

भोले तेरी कृपा से
युग आते युग जाते है

अवध में छाई खुशी की बेला (Avadh Me Chhai Khushi Ki Bela)

अवध में छाई खुशी की बेला,
​अवध में छाई खुशी की बेला,

आरती श्री वृषभानुलली जी की (Aarti Shri Vrishabhanulli Ji Ki)

आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भवसागर-तारिणी, पाप-ताप-कलि-कलुष-निवारिणी,

बड़ी मुश्किल से आई तेरे दर (Badi Mushkil Se Aai Tere Dar)

बड़ी मुश्किल से आई तेरे दर,
आस पूरी माँ कर देना मेरी,