आरती प्रेतराज की (Aarti Pretraj Ki)

 ॥ आरती प्रेतराज की कीजै ॥ आरती प्रेतराज की कीजै.... दीन दुखिन के तुम रखवाले,संकट जग के काटन हारे। बालाजी के सेवक जोधा,मन से नमन इन्हें कर लीजै। आरती प्रेतराज की कीजै.... जिनके चरण कभी ना हारे, राम काज लगि जो अवतारे। उनकी सेवा में चित्त देते, अर्जी सेवक की सुन लीजै। आरती प्रेतराज की कीजै.... बाबा के तुम आज्ञाकारी, हाथी पर करे ये सवारी। भूत जिन्न सब थर-थर काँपे, अर्जी बाबा से कह दीजै। आरती प्रेतराज की कीजै.... जिन्न आदि सब डर के मारे, नाक रगड़ तेरे पड़े दुआरे। मेरे संकट तुरतहि काटो, यह विनय चित्त में धरि लीजै। आरती प्रेतराज की कीजै.... वेश राजसी शोभा पाता, ढाल कृपाल धनुष अति भाता। मैं आनकर शरण आपकी, नैया पार लगा मेरी दीजै। आरती प्रेतराज की कीजै....

बोलिये श्रीप्रेतराज सरकार की जय

........................................................................................................
धनदालक्ष्मी स्तोत्रम् (Dhanalakshmi Stotram)

देवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।
कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्॥

श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्रम् (Shri Lakshminrusingh Stotram)

श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणेभोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते।

ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)

श्री ऋषिपंचमी व्रत कथा (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला व्रत) राजा सुताश्व ने कहा कि हे पितामह मुझे ऐसा व्रत बताइये जिससे समस्त पापों का नाश हो जाये।

श्री विष्णु दशावतार स्तोत्रम् (Shri Vishnu Dashavatar Stotram)

प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।