श्री गंगा मैया की आरती

ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥

ॐ जय गंगे माता...


चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।

शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥

ॐ जय गंगे माता...


पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।

कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥

ॐ जय गंगे माता...


एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता।

यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥

ॐ जय गंगे माता...


आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता।

सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥

ॐ जय गंगे माता...


ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥


पतित-पावनी माँ गंगा की जय


वैसे तो गंगा मैया की आरती करने के लिए सभी दिन शुभ माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों को विशेष माना जाता है-


  1. गंगा जयंती या गंगा सप्तमी (वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को)
  2. सोमवार (हर सप्ताह में सोमवार के दिन) 
  3. गंगा दशहरा (ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को) 
  4. अमावस्या और पूर्णिमा
  5. शिवरात्रि


इसके अलावा, आप गंगा मैया की आरती किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं, जैसे कि:


  1. सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक
  2. शाम 5:00 बजे से 7:00 बजे तक


आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। आरती के दौरान गंगा की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और दीपक जलाएं। आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।


गंगा मैया की आरती करने से कई लाभ होते हैं, जैसे-


  1. पितृदोष शांति: गंगा मैया की आरती से पितृदोष शांति होती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
  2. नकारात्मक ऊर्जा नाश: गंगा मैया की आरती से नकारात्मक ऊर्जा नाश होती है और घर में सकारात्मक वातावरण बनता है।
  3. रोगों का नाश: गंगा मैया की आरती से अनेक रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  4. मानसिक शांति: गंगा मैया की आरती से मानसिक शांति मिलती है और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
  5. आध्यात्मिक विकास: गंगा मैया की आरती से आध्यात्मिक विकास होता है और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
  6. पापों का नाश: गंगा मैया की आरती से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
  7. सुख-समृद्धि: गंगा मैया की आरती से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में संतुष्टि मिलती है।

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जन्मे अवध रघुरइया हो (Janme Awadh Raghuraiya Ho)

जन्मे अवध रघुरइया हो, सब मंगल मनावो
रूप मे अनूप चारो भइया हो,

बुधवार व्रत कथा और महत्व

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